Saturday, June 9, 2012

नाच्यो बहुत गोपाल का   

वास्तव में 'नाच्यो बहुत गोपाल' एक मकसद के तहत लिखा गया था और  वह   मकसद था भंगी  जाति को
यह बताना कि उसके शत्रु मुसलमान हैं और आर्य समाज उसका उद्धारक है. उन्होंने मोहन को संवेदनहीन बनाया,
 उसे डाकू बनाया और एक डाकू के रूप में उससे मुस्लिम ज़मीदार के घर लूटमार करवाई. वे यहीं तक सीमित नहीं रहे,
 बल्कि मुस्लिम महिलाओं पर उसके हाथों पाशविक ज़ुल्म भी करवाए. उसने एक मुस्लिम युवती को
 बलपूर्वक  मेहतरानी बनाने के लिए भी बाध्य किया. यह काम करने के बाद वह गर्व से कहता है--'उस हरामी की पिल्ली को
शेखजादी से भंगिन बनाया है. मैंने मुसलामानों से अपने बुजुर्गों का बदला लिया है

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